तू जब जब मुझसे है लड़ती तो आँखें रूठ जाती हैं, मेरी हाँ को भी न समझती तो आँखें रूठ जाती हैं, तेरी गलियों से आना जाना बारम्बार करती हैं, मगर जब तू नहीं दिखती तो आँखें रूठ जाती हैं।। Kumar Satendra
किताबों में छुपे फूल जब तुम्हारा नाम पूछेंगे लिखे जो खत तुझे देने, कल तुम्हारा धाम पूछेंगे मै दिल को अपने समझा लूँगा लेकिन, क्या कहूंगा जब मेरे सूखे लव जब लवों का कुछ इंतजाम पूछेंगे ~Kumar Satendra