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वो मेरे गाँव की लड़की

कि बनके ख्वाब आती है वो मेरे गाँव की लड़की
मुझे कितना सताती है वो मेरे गाँव की लड़की
कोई जब बात करता है जो मुझसे दिल लगाने की,
तो कितना याद आती है वो मेरे गाँव की लड़की!

कि जुड़कर टूट जाती है वो मेरे गाँव की लड़की
तो मिलकर छूट जाती है वो मेरे गाँव की लड़की
मै जब भी बात करता हूँ उसे मुझको भुलाने की
तो अक्सर रूठ जाती है वो मेरे गाँव की लड़की!

किसी से भी ना कहती है वो मेरे गाँव की लड़की
तो बस चुप चाप रहती है वो मेरे गाँव की लड़की
कभी उलझन कभी सुलझा कभी पानी कभी सूखा
नदी बनकर के बहती है वो मेरे गाँव की लड़की!

हर पल बरसता बादल है वो मेरे गाँव की लड़की
मेरी आँखों का काजल है वो मेरे गाँव की लड़की
खुद परी होके परियों का कहानी सुनती है अब भी
कहूँ क्या कितनी पागल है वो मेरे गाँव की लड़की!

मेरे दिल की मुहब्बत है वो मेरे गाँव की लड़की
धड़कनों की इबादत है वो मेरे गाँव की लड़की
मुहब्बत भी देख उसे उस पे जो खुद नाज करती है
बुजुर्गों की नशीहत है वो मेरे गाँव की लड़की!

~Kumar Satendra

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