तू जब जब मुझसे है लड़ती तो आँखें रूठ जाती हैं,
मेरी हाँ को भी न समझती तो आँखें रूठ जाती हैं,
तेरी गलियों से आना जाना बारम्बार करती हैं,
मगर जब तू नहीं दिखती तो आँखें रूठ जाती हैं।।
Kumar Satendra
मेरी हाँ को भी न समझती तो आँखें रूठ जाती हैं,
तेरी गलियों से आना जाना बारम्बार करती हैं,
मगर जब तू नहीं दिखती तो आँखें रूठ जाती हैं।।
Kumar Satendra
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