हो कितनी काली रैन मगर वो मिहिर बन खिल आएगा
अभी गुमनामी में है कल वो भी कुछ दिल पे छाएगा
तजुर्बे जो जीवन से सीखे उनको भाव देकर के
शब्द शब्द पन्ने पर लिख दे वो भी एक कवि बन जाएगा
~Kumar Satendra
अभी गुमनामी में है कल वो भी कुछ दिल पे छाएगा
तजुर्बे जो जीवन से सीखे उनको भाव देकर के
शब्द शब्द पन्ने पर लिख दे वो भी एक कवि बन जाएगा
~Kumar Satendra
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